Astro Pankaj Seth

जानिए पूजा से पहले स्नान से फायदा

पाठ पूजा से पहले स्नान करना आवश्यक होता है या नहीं??

क्या शरीर की पवित्रता अति आवश्यक है या नहाने के बिना पाठ नहीं करना चाहिए ।

इसके बारे में हमारे धार्मिक ग्रंथ क्या कहते हैं ।

क्या इसके बारे में साधु संतों का क्या विचार है यह मैं थोड़ा सा इस पोस्ट के माध्यम से बताने का प्रयास कर रहा हूं??

images

1. शरीर की पवित्रता इतनी मायने नहीं रखती है जितनी मन की पवित्रता मायने रखती है अगर स्नान कराना है तो पहले अपने मन को करवाना चाहिए.. यदि स्नान करवाना है तो अपने दिल को करवाइए
शरीर को स्नान करवा कर आप अपने मन को संतुष्ट तो कर लेंगे परंतु मन में जो पाप भरे पड़े हैं तो पवित्र तो आप किसी भी तरीके से नहीं है।

2. अगर आप किसी पवित्र स्थान पर बैठे हैं किसी भजन संध्या कीर्तन में बैठे हैं अगर आपका ध्यान किसी स्त्री या महिला की तरफ है या फिर कामुक विचार बार बार आते है तो यह आपकी शरीर की गंदगी आपके बुरे विचार आप को ले डूबेंगे परंतु दूसरी तरफ आप बिना नहाए धोए बैठे हो टूथ ब्रश भी नहीं किया आपने परंतु आपका ध्यान उस परमात्मा की तरफ लगा हुआ है तो आपका हृदय पवित्र और सरल है और भगवान सरल इंसान को ही प्राप्त होते हैं…
अकेला नहा-धोकर अपने आप को पवित्र मान लेने से किसी भी पूजा पाठ का फल नहीं मिलता।

3. पवित्रता दिल से होती है शरीर से नहीं होती… नहाना इसलिए होता है क्योंकि हम इंसान हैं कलयुग में जी रहे हैं तो हमें यह होता है कि हमने स्नान किया है कि हमने कुछ विशेष किया है… यह सिर्फ हमारे मन की सैटिस्फैक्शन और आत्मबल को जागृत करने के लिए करते हैं हम..

4. जो लोग बीमार होते हैं वह कैसी भी अवस्था में पाठ करें अगर सच्चे मन से करते हैं तो परमात्मा उनकी तरफ आ ही जाते हैं वह नहाए धोए नहीं देखते किसने नहाया नहीं है तो इस बीमार इंसान की कोई मदद नहीं की जाएगी।

अंत में इतना कहना चाहुगा की किसी भी व्यक्ति का संपूर्ण निष्ठा और ईमानदारी से किया गया कर्म ईश्वर को भी ऋणी बना देता है फल स्वरुप मनुष्य का जीवन सफल व सार्थक बन जाता है …

शनि सिखाते हैं मनुष्य जीवन में सत्कर्मों को ही सर्वाधिक महत्व देना चाहिए फल स्वरुप ईश्वर भी आपके कर्मों को अनदेखा ना कर सकता।

Regards

Sunny Jain

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *