Astro Pankaj Seth

ग्रह मैत्री मिलान – कुण्डली मिलान भाग – 9

       ग्रह मैत्री गुण मिलान
           कुण्डली मिलान भाग – 9
पिछले अंक मे हमने योनि मिलान की विधी की जानकारी प्राप्त की।
ग्रह मेेैत्री गुण मिलान मे हम ग्रहो की प्राकृतिक मित्रता का मिलान करते है।चंद्रमा जब राशी विशेष मे हो तो उस राशी के स्वामी का चंद्रमा पर विशेष प्रभाव होता है।और जातक के मन पर ग्रह विशेष का प्रभाव होने से उसके आहार – व्यवहार पर भी उस ग्रह का प्रभाव होता है।
पहले हम हर राशि के स्वामी के बारे मे जानकारी लेते है

1) मेष राशि स्वामी मंगल ग्रह है ।
2) वृष राशि स्वामी शुक्र है।
3) मिथुन राशि स्वामी बुध है
4) कर्क राशि स्वामी चंद्रमा है।
5) सिंह राशि स्वामी सूर्य है।
6) कन्या राशि स्वामी बुध है।
7) तुला  राशि स्वामी शुक्र है।
8) वृश्चिक राशि स्वामी मंगल है।
9) धनु राशि स्वामी बृहस्पति है।
10) मकर राशि स्वामी शनि है।
11)कुंभ राशि स्वामी शनि है।
12) मीन राशि स्वामी बृहस्पति है।

हम वैदिक ज्योतिष में ग्रहो की मित्रता तीन भागो मे रखा गया है। कुछ ग्रह एक दुसरे के मित्र है कुछ तटस्थ कुछ शत्रु । जो इस प्रकार है

1) सूर्य
मित्र ग्रह –  सूर्य, चंद्रमा ,मंगल , बृहस्पति
तटस्थ — बुध
शत्रु — शुक्र शनि

2)चंद्रमा
मित्र — सूर्य चंद्रमा बृहस्पति
तटस्थ – मंगल बुध शुक्र शनि
शत्रु — कोई नही

3) मंगल ग्रह
मित्र — सूर्य चंद्रमा मंगल बृहस्पति
तटस्थ — शुक्र शनि
शत्रु — बुध

4) बुध
मित्र — सूर्य शुक्र बुध
तटस्थ– मंगल  बृहस्पति शनि
शत्रु — चंद्रमा

5) बृहस्पति
मित्र – सूर्य चंद्रमा मंगल बृहस्पति
तटस्थ – शनि
शत्रु — बुध शुक्र

6) शुक्र
मित्र — बुध शुक्र शनि
तटस्थ — मंगल  बृहस्पति
शत्रु– सूर्य चंद्रमा

7) शनि
दोस्त – बुध शुक्र शनि
तटस्थ– बृहस्पति
शत्रु- सूर्य चंद्रमा मंगल ग्रह।

 

अब  ऊपर दिये गये सारणी के अनुसार 0-5 अंक  आवंटित किया जाता है।
जब वर और कन्या के राशी स्वामी एक दुसरे के नैसर्गिक मित्र हो तो यह विचारो मे समानता और संतुलन को दर्शाते है।

वे एक-दूसरे के शत्रु ग्रह हो तो विचारो मे असमान्यता और मतभेद को दर्शाते है। वे एक दुसरे के विचारो मे सामंज्यस नही बना पाते है।

जब दोनों एक दूसरे तटस्थ ग्रह हो तो विचारो मे औसत समानता को दर्शाते है।

अगले अंक मे हम गण मिलान के बारे मे जानकारी प्राप्त करेगे ।

 

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